सुनो
गर हम मिल नहीं पाए
यूँ ही कभी
या मैं
ख़ामोश हो जाऊँ
इक रोज़ यूँ ही
तो
तुम पढ़ लेना
मीर की कोई ग़ज़ल
या
मुस्कुरा लेना
बच्चों सा
यूँ ही फिर से
या ओढ़ कर
कुछ रंग ख़्यालों के
उकेर लेना कुछ तस्वीरें
लबों पर
या धो लेना
किसी बारिश में
वो सब
पुरानी यादें
सुनो
तख़ल्लुस पर
कहाँ किसका हक़ है
वादा करो
फिर याद ना करोगे
मुझको फिर से